हमें नेटिव अर्थ शास्त्र विकसित करना है तो आज के संसाधन को इस्तेमाल भी करने होंगे।

विदेशी आक्रमणकारी वैदिक धर्मी ब्राह्मण के कारण हिन्दू समाज , हिन्दू धर्म , हिंदुस्तान टूट कर बिखर गया। हिन्दू के पास उसके पूर्वजोंके छोटे मोटे काम , अल्प भूमि के आलावा कुछ नहीं बचा जिस के कारण हर साल बड़े पैमाने पर बेरोजगार , भूमिहीन मजदुर , कुपोषण , बाल मृत्यु , अस्वच्छता के कारण निर्माण हुवी कई बीमारिया , वयस्क कई प्रकारकी बीमारिया , जल्दी मृत्यु , आदि समश्या देश और हिन्दू समज के लिए स्थायी बन गयी वही विदेशी ब्राह्मण मंदिरो में आराम , वेश्या वेवसाय , मंदिर की कमाई , मंदिर के भूमि की कमाई , दान दक्षिणा में प्राप्त हुव सोना , चाँदी और आभूषण से ेशो आराम की जिंदगी बिताते रहे। फिर उन्हों ने इस के साथ , नाम निकलना , नाम करण, शादी ब्याह की तारीख निकलना , शुभ महूरत , भविष्य बताना , कुछ टोटके पूजा करना आदि से भी कमाई करते रहे और अंत में मृत्य पर गोदान , अन्य दान से अपनी झोली भरते रहे पर बाकी सच्चे स्वदेशी हिन्दू को क्या मिला ? शोषण , शोषण , शोषण ! जाती , वर्ण , ऊंचनीच , भेदभाव आदि से हिन्दू समाज टूट चूका परिणाम ये हुवा की नयी खोज रुक गयी नए उत्पादन के साधन विकसित होना बंद हो गया।

अधर्म को धर्म बताया गया , हिन्दू धर्म को मिटाया गया और विदेशी ब्राह्मण धर्म को हिन्दू धर्म के नाम पर सामने लाया गया क्यों की ये देश हिन्दू का हिंदुस्तान था वही नाम चल सकता था , विदेशी ब्राह्मण वही नाम बताकर आज तक लुटते रहे है। जिस में ये दो , वो दो , ये दान करो , वो दान करो इस के शिवाय कुछ नहीं बताया गया , हालत ये हुवी की स्वदेशी अर्थशास्त्र नहीं बन पाया। आज भी लोग देव देव कहते है , निर्मिति की बात कोई नहीं करता।

आज हमें स्वदेशी यानि नेटिव अर्थ शास्त्र की जरुरत है जो ये बता सके की अर्थाजन कैसे किया जाए ! हमारे पास भूमि नहीं , साधन नहीं , शिक्षा नहीं . फिर क्या करे ? सरकार में विदेशी ब्रह्मिणवादी , ब्राह्मण हतचिंतक बैठे है जो देश के संसाधन यहाके नेटिव लोगो को मुहैया नहीं कराती , केवल दिखावा करती है , भ्रस्टाचार से देश लुटा जा रहा है तब कोण सोचने वाला है ९७ प्रतिशत गरीब नेटिव लोगो के लिए ? हमें ही सोचना होगा। भजिया तलो ये कोई समाधान नहीं हो सकता हमें कुछ ठोस सोचना होगा और इस के लिए नेटिव लोग जो कुछ पढ़े लिखे , व्यापर , उद्योग में है ूँजे सामने आकर नेटिव चेंबर ऑफ़ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स बनाना होगा ताकि हम नेटिव अर्थशास्त्र विकसित कर सके। ये लेख पढ़कर अगर कुछ उत्सुक लोग सामने आएंगे तो हमें बेहद ख़ुशी होगी। हमें नेटिव अर्थ शास्त्र विकसित करना है तो आज के संसाधन को इस्तेमाल भी करने होंगे।

नेटिविस्ट डी डी राउत ,
विचारक ,
मूल भारतीय विचार मंच

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